खोजता रहा सुकून मैं दूर कहीं यिन खुले आँखों से
जब बंद हुयीं आंखे तो उसे तो मैं पास ही पाया.
ढूँढता रहा मैं खुशी कहीं और कहीं दूर
जब थक गया तो उसे अपने ही चारो ओर अपनों के बीच पाया.
ये नजर तो अपनी है पर दोष अक्सर इसके नजरिये की होती है जो चीज़ पास होती है उसे ही दूर कर देती है.
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