Monday, 14 September 2020

ये नजर

खोजता रहा सुकून मैं दूर कहीं यिन खुले आँखों से

जब बंद हुयीं आंखे तो उसे तो मैं पास ही पाया.

ढूँढता रहा मैं खुशी कहीं और कहीं दूर

जब थक गया तो उसे अपने ही चारो ओर अपनों के बीच पाया.

ये नजर तो अपनी है पर दोष अक्सर इसके नजरिये की होती है जो चीज़ पास होती है उसे ही दूर कर देती है.

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