Friday 25 April 2014

मैं वो हूँ क्यूँ नहीं जैसा हूँ मैं वैसा।


झूठ बोलते थे फिर भी सच्चे थे हम,
ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम

आज सच्च कहते है फिर भी झूठे है हम,
सबको अपना  कहता हूँ फिर भी गैर है हम
ये यिन दिनों की बात है
जब बच्चे नहीं रह गए हम
फर्क हुआ है क्यूँ ऐसा
मैं वो हूँ क्यूँ नहीं
जैसा हूँ मैं वैसा।

                ------विमल चन्द्र
 

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