Thursday 19 December 2019

ये हमारे देश का दुर्भाग्य है यंहा पे ऐसे भी so called educated गवांर लोग है जो खुद को युवा और विद्यार्थी और खुद को देश का भावी भविष्य मानते है और वोट देके MLAs MPs तो चुन लेते है। और जब देश के संसद में कोई बिल लाई जाती है कुछ सुधार केलिए तो उस बिल पे पक्ष विपक्ष का विचार डिबेट डिस्कशन जो बिल पारित होने के दौरान होती है उसे सुनना तो दूर जानना तक नही चाहते यंहा तक कि उस बिल में क्या है उसे भी पूरी तरह से न जानना और न समझना चाहते है। और जब बिल पास हो जाये तब इनके अंदर का so called दिखावटी वाली क्रांतिकारीपन बाहर निकलता है जो देश मे अराजकता, अशांति, विध्वंश व देश समाज मे असमंजस और उसे बाटने के सिवाए कुछ और नही करते।

जब देश के head of the govnt Prime Minister Of India एक apeal करते हुऐ assure कर रहे है कि CAB
 इंडियन सिटीजन को और यंहा
के कोई भी रिलिजन पे कोई effect नही करेगा। और किसी भी इंडियन सिटीजन को किसी भी तरह का worry करने की जरूत नही है।। और बिल में भी ये clear cut में mention है की ये क्या है किसके लिए है क्यों है और कहा कहा पे अप्लाई किया जा रहा है।।

पर फिर भी ऐसे लोग violently प्रोटेस्ट कर रहे है अपने तरफ से कुछ भी assume करके।।
अगर future में affect पड़ता तब ऐसा protest करते तो थोड़ा जायज भी लगता एक दृश्टिकोण से पर फिर भी violently किसी भी तरह से जायज नहीं।

पर क्या पहले से कुछ भी assume करके right to speak के आर में कानून को नही मानना देश के constitution का दुहाई देने वालों द्वारा देश के constitution का अपमान है या नहीं,
क्योंकि
ये govnt एक constitutionally elected govt है और बिल भी संवैधानिक तरीके से
हमारे देश के constitutionally स्थापित दोनों सदनों के elcted MPs द्वारा overwhelming के साथ with required majority से पारित होके और president द्वारा approved होने के बाद एक constitutional कानून बना।।
क्या इसे नही मानना और violently protest करना unconstitutional नहीं है ?

अब ऐसे लोगो को बताना चाहिए कि गलत कौन है और गलती कौन कर रहा है।।
अगर ऐसे लोगो को इसमें कुछ खामिया दिखती भी है तो उसके लिए क्या वो govnt को कोई सुझावो दिए जिस आक्रोश से अभि प्रोटेस्ट कर रहे है उसी जज्बे से।। या सिर्फ vote देके MPs चुन के अपनी जिम्मेदारी  भूल गए सब तब उसी MPs वाली हमारी सदन में पारित होने के बाद उस बिल पे बोलने या कुछ करने का हक़ भी नही उन्हें।।

और अंत में किसी भी चीज का विरोध करने से पहले उसकी हर पहलू को जानना और समझना चाहिए।
ये CAB है क्या?
किसके लिए है?
क्यों लानी पर रही है?
ऐसी क्या प्रस्थिति बनी जो इनलोगो  के लिए अब ये व्यवस्था लायी जा रही है?
और ये कानून लाने केलिए क्या क्या मापदंड और क्या क्या शर्ते अपनाये जा रहे है?

ये सब बिना जाने किसी को कोई भी हक़ नही कुछ भी assume करके इस तरह विरोध करने का।
#I_Support_CAB

Wednesday 23 October 2019

एक एहसास .....
अनगिनत किस्से थे हमारे आपके,
हर किस्से की शुरूआत थी आपसे,
ढेरों बाते थे कहने को  आपसे ,
पर न कह सके आपके  चले जाने से ,
आँखों ही आँखों में  टूट के बिखर गए सारे सपने ,
हम मिले भी नही जरा तबियत से और बिछड़ गए ....
एक बार जो हमने कभी हकीकत समझ लिया होता ,
तो आईने से इसतरह हम बात न करते ,
क्या खोया दिया है हमने ,
कास एक बार तो मिलकर हम बता पाते ....

Saturday 14 September 2019


जो रिश्ते बिजली के चले जाने से वो पूरी रात छतों पे साथ गुजारना ।
अब दीवारों के बीच कैद होके रह गयी ।।
जो नींद एक दूसरे के थपकियों और किस्से कहानियों से आया करती थी ।
अब हाथों में थमे यंत्रों में सिमट के दम तोड़ दी ।।
जो कमरा सबको अपने मे समाये बड़ी इठलाता था ।
अब भवन हो के भी सबको खुद में सिमट न सका।।
बचपन मे बस किसीके साथ होने भर से, कोई अपना हो जाया करता था।
अब भावनाएं इस कदर रूठी की अपने होके भी अपनापन खो बैठे ।।
"रिश्तें तो प्यार से फलती फूलती है, प्यार एक दूसरे के त्याग से और त्याग एक दूसरे के प्रति भावनाओं से और सच्ची भावनाएं एक इंसान होने का पूरक है"
(कहीं न कहीं हम सब आदमियत से बैर कर बैठे है।) 

Saturday 31 August 2019

ये जीवन


ये जीवन "मैं से हम" तक का ही सफर तो है।
ये जीवन "खोकर पाने" का ही पर्याय तो है।
जीवन एक खोज है उस "मैं में हम की खोज" ।
ये जीवन जन्म मरण के सफर
को "एक अर्थ की तलाश" ही तो है।
"प्रेम की वास्तविकता" ही तो इस जीवन का आधार है।
उस "मैं से हम के सफर का प्रेम" ही तो जीवन है।